về bản thân tôi
मुझ को मुजरिम न कहो, मै गुनाहगार नहीं हूँ प्यार ही किया था,कोई गुनाह नहीं सजा देनी है,तो तेरा साथ ही दे दे जानता हूँ मै,तुमको मेरी चाहत नहीं मुझे फिर भी कोई ऐतराज नहीं वादा है तुझसे,पास तो रहूँगा, बेरुखी पर तेरी,उफ न करूंगा तेरी नजदीकियां ही काफी है सकून के लिए, सजा न दो सकून ही दे दो, मेरी चाहत के लिए मेरी इल्तिजा पर गौर तो करो अपने गरूर को ताक़ मैं रख ज़रा ऐतबार तो करो गुजारिश है बस इतनी थोडा ऐतबार तो करो